Solutions by Manojj Kr. Vishwakarma...........................
कोर्ट में गुजारा भत्ता केस को काबू करने के सुझाव ( ll )----
अक्सर देखने में आता है की जज ने गुजारा भत्ता का आदेश कर दिया . वकील वही से आपको डराना शुरू कर देते हैं अगर पाँच हज़ार हर महीने का आर्डर दिया . चाहे वो सही है या गलत .
आप डर कर एक बार कोर्ट में जमा करवा दिया तो जज तो सोचेगा की वो सही था , अगर पैसे नहीं थे तो जमा कैसे करवा दिए ,......???
हम गड़बड़ी करते हैं की जैसे ही कोर्ट ने आदेश दिया और इधर मेंटेनन्स जमा करवा दिया . जैसे की हम तो साब तैयार थे बस आपके आदेश की इन्तजार था . केस में जज को मजबूर करने केलिए आधार बनाना पड़ता है ताकि जज गलत फैसला करने से पहले चार बार सोचे . और वो अधर लिखा -पढ़ी से बनता है . फिर आप मेरी तरह आज़ाद हो जाते है .
इतिहास यु ही नहीं बनता ............ फल पककर तैयार हो जाये तो खाने तो सब आ जाते है , लेकिन बिज डालने से लेकर उस फल को तैयार करने तक, जो पापड बेलने पड़ते है वो कोई नहीं करना चाहता ,असली समस्या ये है ....................
जिस दिन आप अपने गुजारा भत्ता के केस को काबू में करलेंगे , उस दिन आपके ससुराल पक्ष, वकील, कोर्ट ................सब कुछ काबू में आ जायेगा ................!!!
इन केसों के समाधान के लिए अपने-२ राज्यों में हमारी कार्यशाला आयोजित करें ताकि हम लोगों की मदद कर सकें .
अगर आप मेरे सुझावों से सहमत हैं तो इसे जन-जन तक पहुचाएँ.......
भवदीय
Manojj Kr. Vishwakarma .
Social Activist, RTI Activist & Scientist...
परिवार बचाओ ----देश बचाओ.... जनआन्दोलन....
Contact-- Manojj 09253323118/ 09910597896 ; Anupam 08447034601 ; Bansal Uncle 09811105587
कोर्ट में गुजारा भत्ता केस को काबू करने के सुझाव ( ll )----
अक्सर देखने में आता है की जज ने गुजारा भत्ता का आदेश कर दिया . वकील वही से आपको डराना शुरू कर देते हैं अगर पाँच हज़ार हर महीने का आर्डर दिया . चाहे वो सही है या गलत .
आप डर कर एक बार कोर्ट में जमा करवा दिया तो जज तो सोचेगा की वो सही था , अगर पैसे नहीं थे तो जमा कैसे करवा दिए ,......???
हम गड़बड़ी करते हैं की जैसे ही कोर्ट ने आदेश दिया और इधर मेंटेनन्स जमा करवा दिया . जैसे की हम तो साब तैयार थे बस आपके आदेश की इन्तजार था . केस में जज को मजबूर करने केलिए आधार बनाना पड़ता है ताकि जज गलत फैसला करने से पहले चार बार सोचे . और वो अधर लिखा -पढ़ी से बनता है . फिर आप मेरी तरह आज़ाद हो जाते है .
इतिहास यु ही नहीं बनता ............ फल पककर तैयार हो जाये तो खाने तो सब आ जाते है , लेकिन बिज डालने से लेकर उस फल को तैयार करने तक, जो पापड बेलने पड़ते है वो कोई नहीं करना चाहता ,असली समस्या ये है ....................
जिस दिन आप अपने गुजारा भत्ता के केस को काबू में करलेंगे , उस दिन आपके ससुराल पक्ष, वकील, कोर्ट ................सब कुछ काबू में आ जायेगा ................!!!
इन केसों के समाधान के लिए अपने-२ राज्यों में हमारी कार्यशाला आयोजित करें ताकि हम लोगों की मदद कर सकें .
अगर आप मेरे सुझावों से सहमत हैं तो इसे जन-जन तक पहुचाएँ.......
भवदीय
Manojj Kr. Vishwakarma .
Social Activist, RTI Activist & Scientist...
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