Friday 15 November 2013

कड़वा सच .................Man Right Organisations ........................का ..............!!!

कड़वा सच .................Man Right Organisations ........................का ..............!!!

November 16, 2013 at 3:35am
कड़वा सच .................Man Right Organisations ........................का ..............!!!

पुरे देश में कई संस्थाएं पीड़ित पुरुषो के अधिकारो के लिए काम कर रही हैं . लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पा रहे . इस बारे में हमने गहराई से विचार किया और पाया कि ---
--ज्यादातर संस्थाएं उन लोगो से संचालित हो रही हैं जो कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से है जमीनी स्तर से कोई अनुभव नहीं , कोई गतिविधि नहीं .
--देश के कुछ लोग जिनको इंटरनेट कि सुविधा है वे केवल गिने चुने है . इंटरनेट लोगो तक सुचना पहुचने का सस्ता माध्यम जरुर है , लेकिन जब इंटरनेट का कनेक्शन हो तब ही फायदा होगा ना.
--आम आदमी तक पहुचने के लिए जमीनी स्तर कि गतिविधयाँ करनी पड़ती हैं
--मैंने कई बार गहराई से देखा है कि ज्यादार लोगों कि सोच -- प्रेस नोट देना और फ़ोटो खिचवाने तक रह गई है .
--जुगाड़ से टीवी चैनल पर बहस में चले गए तो अपने को बहुत बड़ा नेता मान कर सोने लग गए
पीड़ित लोगों के केस को काबू कैसे करें , उस पर कोई कम नहीं किया गया ............???
--कुछ लोगों ने गतिविधिओं को वकीलो को केस देने का जरिए बनाया और गलत तरीके से शोषण किया.
--जमीनी स्तर कि कमजोरी को दूर करने का कोई उपाय नहीं , सोचा और ना ही किया . शायद यही कारण है कि-- कुछ लोग जो कि अपने आप को आठ साल पुराणी आंतररास्ट्रीय संथा के संस्थापक का दावा करते हैं, . लेकिन गतिविधिओं में मुश्किल से 50/ 60 आदमी कि भीड़ जुटा पाते हैं .
वक्त के साथ अपने को ना तो बदला और ना शायद बदलेंगे . एक ठहराव सा आ गया है .
-- बेतुके निर्णय . जब लोग मजबूर होकर आतमहत्या कर रहे हो तब इनको लंगर/ हलवा पूरी या दारु पार्टी के आयोजन कि सूझती है .
--अब इंटरनेट पर कमेंट करने या लाइक करने से किसी प्रकार से ना तो किसी पीड़ित के केस मे कोई लाभ होगा और ना ही समस्या का समाधान.
--वैसे तो मुद्दे के लिए काम करने कि बात करेंगे . जहाँ उनको लगा कि प्रधानी हाथ से खिसक जायेगी तो मुद्दे कि गतिविधिओं को कमजोर करने का प्रयास करेंगे .

--ऐसे लोगों को कोई क्यों और किस लिए याद करेंगे.................???

--लोग उनके साथ क्यों जुड़ेंगे ......................???

वक्त कि जरुरत कुछ और है ................... ज़माने कि नजाकत को समझना होगा .................. जमीनी स्तर पर अहम, स्वार्थ त्याग कर तपना पड़ेगा .................. तब जाकर,........ ये कानून बदलेंगे

क्या इससे खतरनाक आतंकवाद का कोई रूप हो सकता है ...............???
क्या अब भी आपको नींद आ रही है ............???
क्या अब हमें सड़को पर नहीं आना चाहिए .............???

--अब आपकी जो बेइज्जती होनी थी वो हो चुकी , अब शर्म छोड़ कर मैदान में आ जाओ तभी कुछ होगा . वर्ना भुगत तो आप रहे ही हैं.

---अगर किसी के पास हमारे से अच्छा समाधान हो तो हमें जरुर बताएं, नहीं मिले तो औरों को जागरूक करने, औए प्रेरित करने में सहयोग करे ताकि पीड़ित लोगों के दर्द का समाधान किया जा सके .
प्रयास हमारा .............सहयोग आपका ................फायदा सबका.

वक्त कि जरुरत है-----

सोये हुए लोगों को जगा कर,.................. घरसे बहार निकाल कर,.......................... संसद का घेराओ करके ,......................... IrBM कानून को रोकना ...........................!!!

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मामला गम्भीर है................... लोगों को कैसे जगाया जाये, ....??? कैसे क्या करना चाहिए.....???
IrBM हटाओ .........परिवार बचाओ ..........देश बचाओ..............

आइये......!!! हम इस जन आंदोलन का हिस्सा बने .........

आपके सुझाव सादर आमंत्रित है ............................

अगर आप मेरेविचारो से सहमत हैं तो जन-२ तक इसे पहुचाएं .............

Regard's

परिवार बचाओ ----देश बचाओ.... जनआन्दोलन....
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